
🚨 “वर्दी में वध – दिल्ली पुलिस का कांस्टेबल बना ‘स्नातनी बेटियों’ का सौदागर! हरियाणा की युवती के खुलासे ने खोले दिल्ली के इस्लामिक जिहादी नेटवर्क के पर्दे”
देश की राजधानी दिल्ली के रोहिणी इलाके से आई एक खौफनाक रिपोर्ट ने पूरे पुलिस सिस्टम, धार्मिक कट्टरता और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर देशभर में चिंता की लहर दौड़ा दी है। हरियाणा की रहने वाली एक बहादुर युवती ने दिल्ली पुलिस में तैनात एक मुस्लिम कांस्टेबल नबाब ख़ान पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि वह दिल्ली-हरियाणा के स्पा सेंटर्स की आड़ में हिंदू लड़कियों की तस्करी कर उन्हें “लव जिहाद” और धर्मांतरण जैसे जाल में फंसा रहा है। पीड़िता के मुताबिक आरोपी न केवल लड़कियों को फुसलाकर संबंध बनाता, बल्कि स्पा सेंटर्स और मुस्लिम महिला एजेंटों के माध्यम से उन्हें इस्लाम कबूल करवाने का दबाव भी बनाता था। इस नेटवर्क में कथित तौर पर कुछ मौलवी, मस्जिद और धर्म परिवर्तन गिरोह भी शामिल हैं, जो लड़कियों को बुरका पहनाकर छिपाते हैं, उनका शारीरिक-मानसिक शोषण करते हैं, और फिर जबरन उन्हें इस्लामी रीति-रिवाज़ों में धकेल देते हैं। इस पूरे कांड की सबसे खतरनाक बात यह है कि यह खेल किसी झोपड़ी या झुग्गी में नहीं, बल्कि पुलिस की छाया में, राष्ट्रीय राजधानी में वर्दीधारी की निगरानी में चलता रहा। पीड़िता ने यह भी दावा किया है कि कई लड़कियां अब तक गायब हैं, और कुछ को तो तीन बार तक “बेचा” गया — ठीक वैसा ही जैसा ‘द केरल स्टोरी’ फिल्म में दिखाया गया था। आरोप है कि पुलिस महकमा इस पूरे मामले पर या तो जानबूझकर चुप है या कोई ऊपरी संरक्षण आरोपी को बचा रहा है। हिंदू संगठनों, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और सामाजिक संस्थाओं ने इस पूरे घटनाक्रम को महिला सुरक्षा और धर्मनिरपेक्षता पर हमला करार दिया है और इस मामले की CBI से उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। कई संगठनों ने कहा है कि यदि अब भी कोई कार्रवाई नहीं होती, तो यह साफ संकेत होगा कि देश की राजधानी में कट्टरपंथी एजेंडा सत्ता और सिस्टम के संरक्षण में फल-फूल रहा है। इस बीच सोशल मीडिया पर “#HinduGirlsNotForSale”, “#JihadiInUniform” और “#JusticeForVictims” जैसे ट्रेंड तेज़ी से वायरल हो रहे हैं, जो जनमानस में गुस्से और आक्रोश की गंभीर स्थिति को दर्शाते हैं।
📍 यह रिपोर्ट पीड़िता के आरोपों पर आधारित है। पुलिस जांच पूरी होने से पहले किसी को दोषी मानना विधिसम्मत नहीं है। तथ्यों की पुष्टि के लिए सभी पक्षों को सुनना जरूरी है।
✍️ रिपोर्ट: एलिक सिंह
संपादक – वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज़
उत्तर प्रदेश महामंत्री – भारतीय पत्रकार अधिकार परिषद
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